भारत की कुंडली में संकट… लेकिन अंतत: विजय का योग
-डा. तारा मल्होत्रा द्वारा एक ज्योतिषीय विश्लेषण
भारत पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति और ऑपरेशन सिंदूर के सफलतम अभियान को देखते हुए प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ तारा मल्होत्रा ने भारत की कुंडली पढ़कर कुछ बातें हम सबके साथ साझा की है।
इस समय भारत की कुंडली चंद्र लग्न से चल रही है, जिसमें राहु-केतु और शनि की चाल पहले से ही उथल-पुथल का संकेत दे रही है। 15 जून के बाद ग्रहों की स्थिति विशेष रूप से मंगल प्रधान हो जाएगी, जो सैन्य तनाव और सीमावर्ती मुद्दों को और भड़काने वाली हो सकती है—विशेषकर पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर।
मंगल का प्रभाव –
मंगल, जो युद्ध और साहस का कारक है, जब केंद्र में प्रभावशाली होता है, तब वह संघर्ष का संकेत देता है। भारत की कुंडली में यह ग्रह आने वाले समय में शक्ति, प्रतिक्रिया और निर्णय में तीव्रता लाएगा। यह समय कूटनीति से अधिक निर्णायक कदमों का हो सकता है।
शनि और राहु का प्रभाव –
शनि और राहु का मेल गुप्त शत्रुओं और षड्यंत्रों की आशंका को बढ़ाता है। पाकिस्तान की ओर से अप्रत्याशित हरकतें या आतंकी गतिविधियों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
आशा की किरण –
हालाँकि यह समय भारत के लिए चैलेंजिंग रहेगा लेकिन ग्रहों की चाल यह भी दर्शाती है कि जैसे–जैसे गुरु का प्रभाव बढ़ेगा, भारत विजयी होकर उभरेगा। वैश्विक मंच पर सम्मान और कूटनीतिक सफलता भारत को मिलेगी। जनता का मनोबल भी मजबूत रहेगा।
भारत–चीन संबंधों पर ज्योतिषीय दृष्टिकोण (जून से सितंबर)
जून से सितंबर के बीच भारत–चीन संबंधों में भी कुछ अस्थिरता देखने को मिल सकती है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार, विशेष रूप से शनि और राहु की युति तथा मंगल की तीव्रता सीमा विवाद या सैन्य गतिविधियों को बढ़ा सकती है। चीन की कुंडली के अनुसार भी यह समय कूटनीतिक और सामरिक मोर्चों पर टकराव का सूचक है। दोनों देशों के बीच बातचीत की प्रक्रिया धीमी हो सकती है और कुछ तीव्र बयानबाज़ी या सीमित तनाव की स्थिति बन सकती है।
हालांकि, गुरु का प्रभाव इस समय भारत के पक्ष में रहेगा, जिससे भारत संयम और दृढ़ता से स्थितियों को नियंत्रित करेगा। सितंबर के अंत तक यह तनाव धीरे–धीरे कम होने लगेगा और एक बार फिर वार्ता या शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कदम बढ़ सकते हैं। भारत की कुंडली यह स्पष्ट करती है कि चाहे चीन हो या कोई अन्य राष्ट्र, भारत की स्थिति सशक्त, संतुलित और विजयी रहेगी।
निष्कर्ष –
15 जून से शुरू हो रही ये मंगल प्रधान अवधि उग्र हो सकती है पर भारत की कुंडली में राष्ट्र की रक्षा, अखंडता और गरिमा की पूर्ण सुरक्षा के योग हैं। संकट के बाद विजय सुनिश्चित है।