sparkle Dr. Taara Malhotra: World-Renowned Numerologist, Astrologer & Reiki Grandmaster. sparkle Trusted clairvoyant guiding powerful energy transformations. sparkle Global expert in healing, intuition, and spiritual clarity. sparkle Dr. Taara Malhotra: World-Renowned Numerologist, Astrologer & Reiki Grandmaster. sparkle Trusted clairvoyant guiding powerful energy transformations. sparkle Global expert in healing, intuition, and spiritual clarity.
sparkle Dr. Taara Malhotra: World-Renowned Numerologist, Astrologer & Reiki Grandmaster. sparkle Trusted clairvoyant guiding powerful energy transformations. sparkle Global expert in healing, intuition, and spiritual clarity. sparkle Dr. Taara Malhotra: World-Renowned Numerologist, Astrologer & Reiki Grandmaster. sparkle Trusted clairvoyant guiding powerful energy transformations. sparkle Global expert in healing, intuition, and spiritual clarity.

सावन सोमवार: व्रत, विधि-विधान, शुभ संयोग और आध्यात्मिक महत्व
-डॉ. तारा मल्होत्रा

सावन का महीना हिन्दू पंचांग के अनुसार अत्यंत पवित्र माना गया है। यह माह भगवान शिव को समर्पित होता है और विशेषकर सोमवार के दिन शिवभक्त व्रत एवं पूजा-अर्चना के माध्यम से शिवशक्ति की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। सावन सोमवार व्रत का धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व है क्योंकि यह शिव-शक्ति के मिलन, तपस्या, संयम और साधना का प्रतीक है।

सावन सोमवार व्रत की विधि-विधान:

सावन सोमवार व्रत का आरंभ प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर किया जाता है।

व्रती को मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।

शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक किया जाता है।

बिल्वपत्र, धतूरा, भस्म, सफेद फूल और भांग भगवान शिव को अर्पित करने के प्रमुख वस्तु माने गए हैं।

पूजा के दौरान शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है।

व्रत रखने वाले व्यक्ति दिन भर निराहार या फलाहार रहकर शिव की आराधना करते हैं और संध्या समय दूध, फल या साबूदाने आदि से उपवास तोड़ते हैं।

सावन सोमवार के विशेष संयोग:

जब सावन के सोमवार किसी विशेष योग जैसे पुष्य नक्षत्र, शिवयोग, अमृतसिद्धि योग या प्रदोष व्रत के साथ आता है, तो उसका पुण्यफल कई गुना अधिक हो जाता है। 2025 के सावन में भी कुछ ऐसे दुर्लभ संयोग बन रहे हैं जिनमें व्रत एवं पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति मानी जाती है। यह समय विवाह, संतान सुख, नौकरी, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ है।

सावन में हर सोमवार किया गया छोटा-सा भी साधन आपके भक्ति-संकल्प को कई गुना बढ़ा देता है।

              1.शिव-पंचामृत धार

भोर में तांबे के लोटे से शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी की पतली धार बनाते हुए “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जप करें। यह उपाय चंद्रमा को बल देता है, मानसिक अशांति एवं अनिद्रा दूर करता है।

  1. बिल्वपत्र-लेखन साधना

बेल-पत्र को उलटा न तोड़ें; उस पर चंदन या हल्दी से “ॐ” लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएँ। मान्यता है कि इससे रुके हुए वैवाहिक योग शीघ्र बनते हैं तथा ग्रह-दोष शमन होता है।

  1. रुद्राक्ष धारण

सावन के किसी भी सोमवार प्रातः पवित्र हो कर पंचमुखी रुद्राक्ष माला शिवलिंग पर स्पर्श कराकर दाहिने हाथ में बाँधें या गले में धारण करें। यह हृदय-रोग व रक्तचाप-संबंधी समस्याएँ कम करता है और आत्मबल बढ़ाता है।

  1. सोमवारी दीप-दान

सूर्यास्त के बाद शिव-मंदिर के उत्तर-पूर्व कोने में तिल या गौ-घी का अखंड दीप प्रज्वलित करें। कुंडली के शनि व राहु दोष शांत होते हैं; व्यवसाय में स्थिरता आती है।

  1. केसर-दूध अभिषेक

अविवाहित कन्याएँ केसर मिला गुनगुना दूध शिवलिंग पर चढ़ाएँ, साथ-साथ शिव-पार्वती विवाह स्तोत्र का पाठ करें। इससे योग्य जीवन-साथी का विवाह-संपर्क शीघ्र बनता है।

  1. शहद-मधुराभिषेक

आर्थिक समस्याओं और कर्ज से मुक्ति हेतु सोमवार दोपहर शुद्ध शहद से अल्प अभिषेक करें। शहद गुरु ग्रह से जुड़ा है; यह उपाय भाग्य व समृद्धि के द्वार खोलता है।

  1. अक्षत-रोली सुहाग रक्षासूत्र

विवाहित स्त्रियाँ रोली से शिव-पार्वती को तिलक कर अक्षत (चावल) चढ़ाएँ, फिर केसर-लाल सूत्र को शिवलिंग पर बाँधकर कलाई में पहनें। यह अखंड सौभाग्य व पति-रक्षा के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

  1. नाग-नागिन युग्म जल-प्रवाह

काला सर्पदोष या कालसर्प योग से पीड़ित जातक सप्तधातु के नाग-नागिन युग्म को कच्चा दूध व काले तिल से पूजन करके प्रवाहित करें। रोग-संकट व अचानक हादसे कम होते हैं।

  1. तुलसी-सिंदूर मिश्रित भस्म

शिव-भस्म में तुलसी रस व गाँठ का सिंदूर मिलाकर ललाट पर त्रिपुंड लगाएँ। यह मंगल-दोष, रक्त के विकार और आकस्मिक शल्यचिकित्सा के योग को शांत करता है।

  1. अन्य दान-उपचार
  • गाय को हरा चारा व गुड़ – कृषि-सुख तथा पितृ-शांति।
  • काले तिल व उड़द का दान – राहु-कष्ट व कोर्ट-कचहरी के मामलों में राहत।
  • जलती बत्ती-सहायता (त्रिफला तेल) – नेत्र-रोग निवारण।

 

सावधानियाँ

  • अनुष्ठान के दौरान कटु-वचन, नशा व मांसाहार त्यागें।
  • किसी भी रोग-उपचार को मुख्य चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में न अपनाएँ।
  • उपाय अपनी सामर्थ्य तथा स्वीकृति के अनुसार करें; अति-आडंबर से परहेज करें।

सावन सोमवार का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आत्मसंयम और आध्यात्मिक साधना की प्रक्रिया भी है। यह व्रत नारी के लिए अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और दाम्पत्य सुख के लिए किया जाता है, वहीं पुरुषों के लिए यह शक्ति, शांति और आत्मिक उन्नति का माध्यम बनता है।

यह व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं में अत्यंत लोकप्रिय है, जो योग्य वर की प्राप्ति के लिए श्रद्धा से यह व्रत करती हैं। मान्यता है कि स्वयं पार्वती जी ने भी शिव को पति रूप में प्राप्त करने हेतु कठोर तप किया था, जो इस व्रत का मूल प्रेरणास्त्रोत है।

सावन सोमवार व्रत श्रद्धा, संयम और साधना का संगम है। इसमें केवल बाह्य आडंबर नहीं, अपितु अंतर की शुद्धि और आत्मा की उन्नति की कामना समाहित है। शिव तत्व को पाने के लिए यह श्रेष्ठ मार्ग है… जहां आस्था से आरंभ होता है और आत्मिक शांति पर समाप्त।

हर-हर महादेव!